जयपुर. राजधानी के निकट केशवपुरा आदर्श ग्राम में रहने वाले ग्रामवासियों ने पर्यावरण संरक्षण एवं संवर्धन की दिशा में सकारात्मक पहल की है. ग्रामीणों ने गांव में होने वाले सामूहिक भोज के दौरान प्लास्टिक से बने गिलास, चम्मच इत्यादि का उपयोग नहीं करने का सर्वसहमति से निर्णय लिया है.
स्थानीय केशवपुरा आदर्श ग्राम विकास समिति के उपाध्यक्ष दयाराम सैनी ने बताया कि गांव में समय-समय पर सामाजिक एवं धार्मिक आयोजन होते रहते हैं, जिसमें सामूहिक भोज का कार्यक्रम भी रहता है. सामान्यतः प्रेरणा के अभाव में अब तक ऐसे भोज में प्लास्टिक से बने गिलास, चम्मच आदि का उपयोग किया जाता रहा है. हमें ध्यान में आया कि प्लास्टिक के पात्रों से न केवल गांव का पर्यावरण दूषित हो रहा था, बल्कि इनके खाने से पशुओं को भी हानि हो रही थी. प्लास्टिक गिलास, चम्मच एवं पॉलिथीन का सेवन करने से कुछ पशु अकाल मौत के ग्रास बने. इन सब को ध्यान में रखते हुए ग्राम विकास समिति के कुछ सदस्यों ने भोज में प्लास्टिक सामग्री का उपयोग न करने का मन बनाया. समिति के सदस्यों ने जब इसकी चर्चा युवाओं व प्रबुद्धजन से की तो उन्होंने भी इस दिशा में सकारात्मक पहल को अपनी सहमति दी. गांव ने सर्व सहमति से सामूहिक भोज में प्लास्टिक से बने सामानों का उपयोग नहीं करने का निर्णय लिया है.
समिति के उपाध्यक्ष मुकेश सैनी ने बताया कि गांव ने इसकी शुरुआत भी कर दी है. बुधवार 10 जुलाई को गांव के कालूराम सैनी के परिवार में सामूहिक भोज का आयोजन था तो निर्णयानुसार उसमें पेड़ के पत्ते से बनी पत्तल-धोने पर ही भोजन कराया. प्लास्टिक के गिलास एवं चम्मच काम में नहीं ली गई. आगे भी प्रयत्नपूर्वक इसे जारी रखा जाएगा.
1981 में संघ ने बसाया था केशवपुरा
ग्रामीण राम रमेश ने बताया कि जुलाई 1981 में भयंकर बाढ़ के कारण जयपुर की चाकसू तहसील का ग्राम छादेल खुर्द त्रासदी का शिकार हुआ था, तब 2 पक्के मकानों को छोड़कर अन्य सभी मकान, पशु और पशु बाड़े सब पानी के साथ बह गए. त्रासदी की सूचना मिलते ही जयपुर महानगर से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक छादेल खुर्द पहुंचे और 2 दिन से भूखे प्यासे छादेल खुर्द वासियों को भोजन उपलब्ध करवाया. बाढ़ पीड़ितों को भी छत मिले, इसी उद्देश्य से संघ की प्रेरणा से गठित राजस्थान बाढ़ पीड़ित सहायता एवं पुनर्वास समिति द्वारा गांव बसाने का निर्णय हुआ. कार्तिक शुक्ल नवमी तदानुसार 6 नवंबर 1981 में केशवपुरा आदर्श ग्राम की नींव रखी. मात्र 5 माह में करीब 11 लाख रु से समिति द्वारा 64 पक्के मकान, सामुदायिक केंद्र, शिवालय एवं मीठे पानी का कुआं तैयार किया. चैत्र शुक्ल नवमी तदानुसार 02 अप्रैल, 1982 के दिन केशवपुरा आदर्श ग्राम के लोकार्पण समारोह में संघ के तृतीय सरसंघचालक स्वर्गीय बाला साहब देवरस का आगमन हुआ. 37 साल बाद 05 अक्तूबर 2018 में केशवपुरा आदर्श ग्राम को सरकार के भू-राजस्व रिकॉर्ड में स्थान यानी ग्राम का नाम भू राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज करने के आदेश हुए, जिसकी खुशी में केशवपुरा आदर्श ग्राम विकास समिति की ओर से पिछले साल 10 अक्तूबर को नामकरण महोत्सव एवं सामूहिक महाआरती का आयोजन भी किया गया.
अन्य कार्यक्रम
ग्राम विकास प्रमुख सुरेश कुमार ने बताया कि संघ की प्रेरणा से स्वयंसेवक एवं ग्राम विकास समिति के संयुक्त तत्वाधान में गांव में समय-समय पर अनेक प्रेरणायक कार्यक्रमों का आयोजन होता रहता है. दीपावली पर केशवपुरा आदर्श ग्राम में सामूहिक रूप से गोवर्धन पूजा की जाती है जो सामाजिक दृष्टि से सामाजिक समरसता का बड़ा उदाहरण है. हर माह की अमावस्या को ग्रामवासियों की ओर से सामूहिक श्रमदान किया जाता है. माह में एक बार सामूहिक सत्संग होता है. इसके अलावा धार्मिक त्योहारों पर गांव के चौराहे, गलियों में रंगोली कर सजावट की जाती है. आगामी 15 दिन में सामूहिक पौधारोपण कार्यक्रम के तहत 101 पौधे रोपे जाएंगे.
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