मेरठ (विसंकें). भारतीय चित्र साधना से सम्बद्ध मेरठ चलचित्र सोसायटी एवं पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग, चौ. चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ के सयुंक्त तत्वाधान में ‘नवांकुर’ लघु फिल्म महोत्सव का आयोजन किया गया.
लघु फिल्म महोत्सव में कुल 21 फिल्मों का प्रदर्शन किया गया. इसमें 15 मिनट की श्रेणी में 10 फिल्में तथा 05 मिनट की श्रेणी में 11 फिल्में प्रदर्शित की गई.
‘आदर्श’ (रिश्ता अहसास का) फिल्म में पति पत्नी में अकारण पनपते अविश्वास व मां की जिम्मेदारी को बखूबी प्रदर्शित किया गया. ‘अन्नदाता’ फिल्म में किसानों के सामने आने वाली समस्याओं का चित्रण किया गया. ‘धर्म’ लघु फिल्म में विभिन्न धर्म सम्प्रदायों के बीच आपसी सामंजस्य पर जोर दिया गया तो समाज में व्याप्त बालविवाह के दुष्परिणामों को ‘कच्चा घड़ा’ लघु फिल्म में बखूबी दिखाया गया. ‘मैं भगत सिंह हूं’ फिल्म में शहीद भगत सिंह के जीवन पर प्रकाश डाला गया. आज की ज्वलंत समस्या बुजुर्गों को बेसहारा बना देना तथा वर्तमान पीढ़ी का अपने कर्तव्यों से बचना, को ‘वृद्धाश्रम’ लघु फिल्म में दर्शाया गया. ‘पोलियो से मुक्ति’ एवं ‘मतदान जागरुकता’ ने दोनों विषयों पर गम्भीरता से जागरुक होने का संदेश दिया. ‘स्पेशल स्कूल फोर स्पेशल चिल्ड्रन’ विषय पर बनी फिल्म में मूक बधिर बच्चों की क्षमताओं को दिखया गया.
‘गंगा’ लघु फिल्म में गंगा में बढ़ते प्रदूषण तथा उससे होने वाली हानियों का बहुत सुंदर चित्रण किया गया. ‘आजादी के सत्तर साल’ नामक फिल्म में युवाओं में बढ़ते नशे की आदत को दिखाया गया तथा इसके विभिन्न दुष्परिणामों को भी फिल्म में सम्मिलित किया गया.
लघु फिल्म महोत्सव में फिल्म सेंसर बोर्ड की सदस्य नीता गुप्ता, अम्बरीश पाठक व डॉ. प्रदीप पवांर (निर्णायक मंडल) ने लघु फिल्मों का विभिन्न बिंदुओं पर मूल्यांकन किया. 15 मिनट की श्रेणी में प्रथम स्थान ‘कच्चा घड़ा’, द्वितीय स्थान ‘पोलियो से मुक्ति’ तथा तृतीय स्थान ‘स्टॉप एसिड अटैक’ को रखा गया. जिन्हें क्रमशः 11000 रुपये, 5100 रुपये, 3100 रुपये एवं प्रमाण पत्र, स्मृति चिन्ह पुरस्कार स्वरूप दिया गया. 05 मिनट की श्रेणी की लघु फिल्मों में ‘व्हाट शुड आई डू’, ‘गंगा’ एवं ’मतदान जागरूकता’ को प्रथम 5100 रुपये, द्वितीय 3100 रुपये, तृतीय 2100 रुपये, प्रमाण पत्र, स्मृति चिन्ह पुरस्कार स्वरूप दिया गया.
विश्वविद्यालय के कुलपति व कार्यक्रम अध्यक्ष प्रो. एनके तनेजा ने कहा कि हम सभी का सबसे महत्वपूर्ण कार्य है कि विद्यार्थियों की क्षमता को और अधिक परिष्कृत कर उनके विकास में योगदान करें. यह लघु फिल्म समारोह भी उसी का एक प्रयास है. फिल्में केवल मनोरंजन का साधन ही नहीं, अपितु ज्ञान-विज्ञान के प्रचार और प्रसार का सशक्त माध्यम हैं. फिल्म समारोह में प्रदर्शित फिल्मों में समाज से जुड़े पहलुओं को उद्घाटित किया गया है.
प्रो. अरूण कुमार भगत ने कहा कि फिल्में समाज की झलक होती हैं. फिल्मों में हम उस समय की सामाजिक स्थितियों, परिस्थितियों को देख सकते हैं. दृश्य–श्रृव्य माध्यम होने के कारण इनका प्रभाव त्वरित और दीर्घकालिक होता है. कार्यक्रम के अंत में विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभागाध्यक्ष डॉ. प्रशान्त कुमार, मेरठ चलचित्र सोसायटी के अध्यक्ष अजय मित्तल ने सफल आयोजन एवं सहयोग के लिये सभी का धन्यवाद किया.
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