नई दिल्ली (इंविसंकें). राष्ट्रीय सेवा भारती के सहयोग से संत ईश्वर फाउंडेशन ने विभिन्न क्षेत्रों में सेवारत संस्थाओं व महानुभावों को नई दिल्ली में सम्मानित किया. इस अवसर पर केन्द्रीय विज्ञान एवं पर्यावरण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन, उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास एवं प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री डॉ. जितेंदर सिंह ने विभिन्न श्रेणियों में संत, महानुभावों एवं संस्थाओं को सम्मानित किया.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सेवा प्रमुख पराग जी ने कहा कि हम वसुधैव कुटुम्बकम की भावना से सेवा करें. जिन्होंने दीनदुखी, पीड़ित मानवता की सेवा में अपना जीवन समर्पित कर दिया और परिवर्तन की बहार लाकर दिखा दी, वह अभिनन्दन के पात्र हैं. यहाँ जो सेवाव्रती सम्मानित हुए हैं, उन्होंने कभी ऐसे सम्मान की लालसा नहीं की. हमारे यहाँ परंपरा है जो सेवा करता है, वो कभी अभिनन्दन का आकांक्षी नहीं होता. हमको हमारे पुरखों से ही प्रेरणा मिलती है, हिंदुस्तान के अन्दर सेवा नई चीज नहीं है. ऐसी सेवाव्रती संस्कृति के अन्दर जन्म हुआ, यह हमारा परम सौभाग्य है. जिन्होंने दूरस्थ इलाकों जनजातियों के बीच में काम करके आदर्श प्रस्तुत किया है, वह हमारे सबके लिए प्रेरणा के स्रोत हैं. ऐसे महानुभावों का सम्मान करने से हम स्वयं सम्मानित हो जाते हैं.
डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि हमारा सौभाग्य है कि पूर्वजों से हमें पर्यावरण संरक्षण के संस्कार विरासत में मिले हैं, जिनसे हमें विरासत में साफ़ सुथरी नदियाँ, हवा, उपजाऊ जमीन, जंगल मिले थे. इनके संरक्षण के लिए आज आवश्यकता है, अपने पूर्वजों के ही दिए पर्यावरण की रक्षा को सार्थक बनाने के लिए सच्चे नियमों का हम पालन करें.
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डॉ. जितेंदर सिंह ने कहा कि सेवा से जुड़ी प्रतिभाओं को ढूंढ कर सम्मानित करना समाज को प्रेरणा देने का काम है जो संत ईश्वर फाउंडेशन ने किया है. संत ईश्वर पुरस्कार विजेता हमारे लिए सेवा के कार्यों को सीखने के जीते-जागते उदाहरण हैं.
समारोह में संत ईश्वर विशेष सम्मान से सम्मानित पदमश्री बाबा बलवीर सिंह सींचेवाल ने कहा कि गुरु कृपा होने पर ही व्यक्ति सेवा के कार्य को कर पाता है. आज पर्यावरण प्रदूषण और इसके कारण हो रही ग्लोबल वार्मिंग विश्व की सबसे बड़ी समस्या है. यूएनओ के सारे प्रयासों के बावजूद प्रदूषण बढ़ रहा है, गुरु नानक जी ने भी आज से साढ़े पांच सौ साल पहले गुरुवाणी में कहा था कि हमारा पर्यावरण से रिश्ता क्या है. पवन गुरु, पानी पिता, धरती माता है. जहाँ भी हम रहते हैं वहां के पर्यावरण को बचाने के लिए स्वयं अपने घर से शुरुआत करें. हमारा घर, गांव, शहर हरा भरा होगा तो शरीर भी स्वस्थ रहेगा.
संत ईश्वर फाउंडेशन की सचिव वृंदा जी ने कहा कि भारत के हर कोने से विजेताओं को ढूंढ कर लाने का कार्य आसान कार्य नहीं था. 11 महीने के कठिन परिश्रम से संत ईश्वर सम्मान चयन समिति ऐसे विजेताओं को खोजकर लाती है. प्रेम और सेवा के कार्य में मैं का त्याग आवश्यक है, जितना भी हमारे बस में है उतना कार्य देश के लिए करने का उन्होंने आह्वान किया. कार्यक्रम के समापन पर संत ईश्वर फाउंडेशन के अध्यक्ष कपिल खन्ना ने सभी का धन्यवाद दिया.
संत ईश्वर विशेष सेवा सम्मान
1. बाबा बलवीर सिंह सीचेवाल (जालंधर-पंजाब) – पंजाब से बह रही ब्यास नदी को गंदे नाले से साफ़-सुथरी नदी में तब्दील कर दिया.
जनजाति क्षेत्र
श्री जालेश्वर ब्रह्मा (दिसपुर, गुवाहाटी) – संत ईश्वर विशिष्ट सेवा सम्मान………. बोडो भाषा हेतु देवनागरी की स्थापना कर स्कूलों में उसे पढ़ाई का माध्यम बनाकर उसमें किताबें तैयार की.
शिवगंगा विकास जतन (इंदौर, मध्य प्रदेश) संत ईश्वर सेवा सम्मान……. 450 गाँवों में जल, जंगल, जमीन, जानवर आदि समस्याओं पर काम करने के लिए युवाओं को तैयार करना.
सिद्धेश्वरी सेवा मिशन (त्रिपुरा) – संत ईश्वर सेवा सम्मान…….. 16 आश्रम व छात्रावास स्थापित कर त्रिपुरा के लोगों को धर्म परिवर्तन से बचाया.
सनातन संत समाज गहिरा (रांची, झारखण्ड) – संत ईश्वर सेवा सम्मान ……. संस्कृत महाविद्यालय आरम्भ किया, वायुमंडल पर्यावरण के लिए वन संरक्षण और वृक्षारोपण को बढ़ाया.
ग्रामीण क्षेत्र
नवजागृति समिति (रांची, झारखण्ड) – संत ईश्वर विशिष्ट सेवा सम्मान…… सामुदायिक शिक्षा की व्यवस्था, जल संरक्षण हेतु 45 डोभा का निर्माण व दीप बोरिंग प्रतिबंधित किया.
नवप्रभात चेरिटेबल ट्रस्ट (नौपल्ली, ओडिशा) – संत ईश्वर सेवा सम्मान….. बच्चों के लिए गुरुकुल में शिक्षा व्यवस्था, खाना, कपड़े, किताब, स्वास्थ्य सुविधा देते हैं.
निरामय बहुउद्देशीय सेवा संस्था (नागपुर, महाराष्ट्र) – संत ईश्वर सेवा सम्मान…… रोजगार उत्पन्न कर 250 महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया. बच्चों से नशा छुड़वाया, उन्हें पढ़ाई की ओर दिशा दी.
दीपक उपाध्याय (नकरौंदा, देहरादून) – संत ईश्वर सेवा सम्मान……. जैविक खेती, देसी गाय व जल संरक्षण को बढ़ावा दिया.
महिला एवं बाल विकास क्षेत्र
बुधरीताती (दंतेवाडा, छत्तीसगढ़) – संत ईश्वर विशिष्ट सेवा सम्मान…….. वनवासी महिलाओं के जागरण एवं उनका स्वावलंबन बाल संस्कार क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं.
अबलाश्रम (बैंगलूरू, कर्णाटक) – संत ईश्वर सेवा सम्मान………. 100 वर्षों से महिलाओं के लिए पुनर्वास की व्यवस्था व उन्हें आत्मनिर्भर बनाने का कार्य कर रहे हैं.
विवेकानंद समिति (कानपुर, उत्तर प्रदेश) – संत ईश्वर सेवा सम्मान……… 10 वर्षों से बस्तियों में 200 से अधिक बच्चों के विद्यालय के प्रवेश परीक्षा की तैयारी करा उन्हें शिक्षित किया.
केशव सेवा साधना (उत्तरी गोवा) – संत ईश्वर सेवा सम्मान………. 196 ऐसे विद्यार्थी जिनकी किसी कारण शिक्षा ही पूर्ण न हो पाई, उनकी शिक्षा पूरी करने हेतु तीन छात्रावास चला रहे हैं.
विशेष योगदान क्षेत्र
संवेदना सेरेबल पाल्सी विकसन केंद्र (लातूर, महाराष्ट्र) – संत ईश्वर विशिष्ट सेवा सम्मान…… 10 वर्षों से दिव्यांगों के लिए विशेष पुस्तकालय चलाते हैं, जहाँ मनोविज्ञानिक ओर्थोपेडिक केंद्र भी चलते हैं.
श्रीमती एममुथु सेल्वी (कांचीपुरम, तमिलनाडु) – संत ईश्वर सेवा सम्मान……. पहली नेत्रहीन महिला हैं, जिन्हें बैंक में नौकरी मिली और अब नेत्रहीन लोगों को नौकरी पाने की तैयारी कराती हैं.
वन्देमातरम फाउंडेशन (हैदराबाद, तेलंगाना) – संत ईश्वर सेवा सम्मान……. सरकारी स्कूलों की कार्य प्रणाली सुधार कराया व कई बच्चों को आगे जाकर शिक्षक बनने के लिए प्रेरणा दी.
शिवांगी पाठक (हिसार, हरियाणा) – संत ईश्वर सेवा सम्मान…… छोटी सी उम्र में विश्व की कई ऊंची चोटियाँ जैसे माउंट एवरेस्ट, माउंट किलिमंजरो आदि पर फ़तेह प्राप्त की.
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