WEDNESDAY, FEBRUARY 14, 2018
सह सरकार्यवाह जी ने प्रदान किये श्री गुरुजी पुरस्कार
पुणे (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह सुरेश सोनी जी ने कहा कि समाज के विभिन्न क्षेत्रों में विशेष काम करने वाले व्यक्तियों को पू. श्री गुरुजी पुरस्कार से सम्मानित किए जाने के कारण असल में पू. श्री गुरुजी के कार्य का गौरव पुरस्कार के माध्यम से हो रहा है. सह सरकार्यवाह जी जनकल्याण समिति पश्चिम महाराष्ट्र की ओर से रविवार (11 फरवरी) को सातारा के स्व. यशवंतराव चव्हाण सभागार में पू. श्री गुरुजी पुरस्कार वितरण समारोह में संबोधित कर रहे थे.
कार्यक्रम में लद्दाख में पर्यावरण क्षेत्र में असाधारण कार्य करने वाले चेवांग नार्मेल जी सहित महिला सशक्तिकरण क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाली पुणे की ज्योति पठानिया जी को सुरेश सोनी जी और डॉ. रविंद्र सातलकर जी ने सम्मानित किया. प्रत्येक को एक लाख रुपये, श्रीफल, मानपत्र और शाल पुरस्कार के रूप में दिए गए. इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की जनकल्याण समिति महाराष्ट्र प्रांत के अध्यक्ष डॉ. रविंद्र सातलकर जी, पश्चिम महाराष्ट्र संघचालक नानाजी जाधव, स्वागत समिति के अध्यक्ष डॉ. अविनाश पोल जी उपस्थित थे.
सह सरकार्यवाह जी ने कहा कि आज समाज में प्रत्येक क्षेत्र व्यापक हुआ है. पर्यावरण, महिला सशक्तिकरण जैसे विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करने वाले व्यक्ति महान हैं. आज हर व्यक्ति की समस्या एवं प्रश्न अलग हैं और ये व्यक्ति उन्हें उजागर कर रहे हैं. चेवांग नार्मेल जी और ज्योति पठानिया जी को पुरस्कार देकर श्री गुरुजी के कार्य का गौरव होता है.
चेवांग नार्मेल जी ने कहा कि लद्दाख के हर एक गांव में मार्ग, पुल, बांध और नहर के निर्माण में सक्रिय सहभाग लेते हुए वहां की समस्याएं समझ सका. लद्दाख जो भारत का उत्तरी सिरा है, अत्यंत दुर्गम इलाका है. अतीव सर्दी के कारण वहां खेती करना असंभव था. सर्दियों में जमा बर्फ का पानी गर्मियों में पिघलकर बह जाता था. लेकिन चूंकि मैं इंजीनियर हूं, इसलिए तंत्रकौशल का प्रयोग कर हजारों मीटर ऊंचाई पर बांध बनाकर कृत्रिम ग्लेशियर तैयार किया. उसी पानी का प्रयोग अब गर्मियों में खेती के लिए हो रहा है. इसके लिए हमने वहां के स्थानीय लोगों की मदद ली. उनके बिना यह काम असंभव था और हमें इसका अब अच्छा लाभ हो रहा है. स्थानीय लोग ही बांध की देखभाल कर रहे हैं.
ज्योति पठानिया जी ने कहा कि मैंने 1992 से समाज कार्य का प्रारंभ किया. आरंभ में चैतन्य महिला मंडल की स्थापना कर समाज की पीड़ित, विस्थापित महिलाओं के लिए एवं उनके बच्चों के पुनर्वास के काम में जुट गई. इस काम को करते हुए कई मुश्किलें आईं. लेकिन उससे डरे बिना काम करती रही. आज हमारे पास अपना भवन है. संस्था के काम से अब तक सैंकड़ों महिलाओं को न्याय दिलवाया है.
इस अवसर पर गणमान्य अतिथियों ने स्मारिका का लोकार्पण किया. छत्रपति शिवाजीराजे भोसले के संदेश का पठन डॉ. दर्भे जी ने किया, जबकि विभावरी गोडबोले जी ने प्रस्तुत किया. कार्यक्रम की प्रस्तावना डॉ. रविंद्र जी ने रखी.
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