मुंबई : किनारा मस्जिद को न हटाने की महाराष्ट्र सरकार की अर्जी को उच्चतम न्यायालय ने नकारा

जब दरगाह ट्रस्ट को कोई परेशानी नहीं है तो महाराष्ट्र सरकार इसमें इतनी दिलचस्पी क्यों दिखा रही है ? – उच्चतम न्यायालय

नई देहली : मुंबई में हाजी अली दरगाह के पास किनारा मस्जिद को ‘बचाने’ की कानूनी लड़ाई महाराष्ट्र सरकार उच्चतम न्यायालय में हार गई। उच्चतम न्यायालय ने इस संबंध में न्यायालय के आदेश को चुनौती देनेवाली प्रदेश सरकार की याचिका को खारिज कर दिया। महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश हुए वकील निशांत कटनेश्वरकर की दलीलों को न्यायालय ने स्वीकार नहीं किया, उलटे उन्हें फटकार भी लगाई !
मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर और न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड की बेंच से महाराष्ट्र सरकार के वकील ने कहा कि किनारा मस्जिद को हटाए जाने से स्थिति खराब हो सकती है। परंतु न्यायालय ने इस दलील को खारिज कर दिया। न्यायालय ने उन्हें फटकार लगाते हुए पूछा कि, जब दरगाह ट्रस्ट को कोई परेशानी नहीं है तो महाराष्ट्र सरकार इसमें इतनी दिलचस्पी क्यों दिखा रही है !
न्यायालय ने कहा, ‘मुबंर्इ उच्च न्यायालय ने सभी तरह के अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया था। दरगाह ट्रस्ट ने उस आदेश को न्यायालय में चुनौती दी थी, परंतु न तो ट्रस्ट ने और न ही किसी अन्य व्यक्ति की ओर से यह गया था कि किनारा मस्जिद को न हटाया जाए। हमें ऐसा लगता है कि केवल आप ही हैं जिन्हें उच्च न्यायालय का वह आदेश मानने में दिक्कत हैं, जिसे उच्चतम न्यायालय ने भी बरकरार रखा है !’
गौरतलब है कि, ३ जुलाई को उच्चतम न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार को निर्देश दिया था कि, वह दो सप्ताह के अंदर हाजी अली दरगाह के चारों आेर और दरगाह की ओर जानेवाली सड़कों पर से अतिक्रमण हटाए। पिछली सुनवाई के दौरान न्यायालय ने कहा था कि, अगर उसके आदेश का पालन नहीं किया गया, तो इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। न्यायालय ने दरगाह के आसपास ९०८ वर्गमीटर क्षेत्र से अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया था, जिसमें १७१ वर्ग मीटर मस्जिद की जगह है।
स्त्रोत : नवभारत टाईम्स

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