लखनऊ (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक ओमप्रकाश जी का निधन आज रविवार को प्रातः 6.20 बजे किंग जार्ज मेडिकल कॉलेज में हो गया.
ओमप्रकाश जी पिछले कुछ दिनों से संक्रमण के कारण मेडिकल कॉलेज में भर्ती थे. उन्होंने अपना देहदान कर रखा था, इसलिए उनका पार्थिव शरीर शाम को 5 बजे मेडिकल कॉलेज को सौंपा जाएगा.
ओमप्रकाश जी का जन्म हरियाणा के पलवल जिले में सन् 1927 ई. में हुआ था. शिक्षा दीक्षा मथुरा में हुई. सन् 1947 ई. में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक बने. अतरौली (अलीगढ़) के तहसील प्रचारक रहे. तत्पश्चात 1957 से 67 तक बिजनौर के जिला प्रचारक रहे, फिर बरेली के जिला प्रचारक, मुरादाबाद एवं कुमाऊं विभाग प्रचारक 1978 तक रहे. 1978 से पश्चिम उत्तर प्रदेश के प्रांत प्रचारक रहे. तब उत्तर प्रदेश में केवल दो ही प्रान्त थे. तदुपरांत उत्तर प्रदेश के क्षेत्र प्रचारक और फिर संयुक्त क्षेत्र प्रचारक रहे. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सहसेवा प्रमुख भी रहे.
उनका पार्थिव शरीर अंतिम दर्शन के लिए शाम 5 बजे तक संघ कार्यालय भारती भवन लखनऊ में रहेगा. उसके बाद मेडिकल कॉलेज को सौंपा जाएगा.
श्री ओमप्रकाश जी का देहावसान हम लोगों के लिए मन में वेदना की टीस उत्पन्न करने वाली घटना है। सन् 1980 से समय-समय पर मैंने उनका कम अधिक सान्निध्य पाया। उनकी सरलता, करुणा शत्रु को भी निरवैर बनाने वाली स्वभाव की वृत्ति किसी के भी मन को प्रभावित किये बिना नहीं छोड़ती। उत्तर प्रदेश में संघकार्य का व्यापक विस्तारित रूप खड़ा करने में उनकी महती भूमिका रही है। गो संवर्धन और गोपालन गतिविधि के स्वरूप की बुनियाद जिस अथक परिश्रम व लगन के साथ उनके द्वारा रची गयी, उसका तो कोई और सानी मिलना कठिन है। मैं उनकी पवित्र स्मृति में मेरी व्यक्तिगत तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पण करता हूँ।
मोहन भागवत
सरसंघचालक, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
मोहन भागवत
सरसंघचालक, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भारती भवन पहुंचकर श्रद्धासुमन अर्पित किए. मुख्यमंत्री ने अपने शोक संदेश में कहा कि भारत की श्रेष्ठ परम्परा का अनुसरण करते हुए वरिष्ठ प्रचारक ओम प्रकाश जी ने सदैव भारत की सनातन संस्कृति की रक्षा की और संवर्धन के लिए अपना जीवन समर्पित किया. सनातन धर्म के पवित्र प्रतीकों के प्रति उनके मन में श्रद्धा और सम्मान का भाव स्पष्ट दिखाई देता था. गौ एवं गौवंश संरक्षण और संवर्धन के लिए उनके द्वारा किया प्रयास सदैव स्मरणीय रहेगा.
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