रांची (विसंकें). झारखंड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू जी ने कहा कि झारखंड वीरों की भूमि है. अमर शहीद भगवान बिरसा मुंडा समेत हमारे कई पूवर्जों ने अंग्रेजी सरकार के खिलाफ आंदोलन किया. बिरसा मुंडा को भगवान का दर्जा दिया गया है. उन्होंने लोगों को एकत्रित कर आंदोलन का संचालन किया. राजनीतिक आजादी के साथ-साथ धार्मिक व सांस्कृतिक आजादी के लिए लोगों को प्रेरित किया. भगवान बिरसा मुंडा ने लोगों को एकजुट कर अंग्रेजी सरकार के दांत खट्टे कर दिये थे. राज्य सरकार ने अमर शहीदों के गांवों को मॉडल गांव के रूप में विकसित करने का जो निर्णय लिया है, वह सराहनीय है. केंद्र और राज्य सरकार ने जनजातीय समाज की संस्कृति, परंपरा आदि के संरक्षण और महापुरुषों के बारे में जागरूकता फैलाने का काम शुरू किया है. इससे आने वाली पीढ़ी उनके बारे में जान सकेगी. राज्यपाल बिरसा मुंडा कारागार के जीर्णोद्धार, संरक्षण व संग्रहालय के शिलान्यास समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रही थीं.
पूर्वजों के बलिदान का कर्ज नहीं चुकाया जा सकता
मुख्यमंत्री रघुवर दास जी ने कहा कि हमारे पूवर्जों ने देश की आजादी के लिए बलिदान दिया था. उनका कर्ज नहीं चुकाया जा सकता है. लेकिन उनके स्मारक, संग्रहालय आदि बनाकर तथा उनके विचारों को जन-जन तक पहुंचा कर हम इसका प्रयास कर सकते हैं. आज का यह कार्यक्रम इसकी की एक कड़ी है. कारागार परिसर में भगवान बिरसा मुंडा के साथ राज्य के अन्य वीर सपूतों की प्रतिमा रहेगी. छोटानागपुर के महाराजा मदरा मुंडा की प्रतिमा भी यहां बनाई जाएगी. इसके साथ ही डुम्बारीबुरू का स्थल जहां भगवान बिरसा मुंडा गिरफ्तार हुए थे और जनजातीय समाज के 400 लोग शहीद हुए थे, उस शहीद स्थल का भी जीर्णोद्धार करवाया जाएगा. हमारी सरकार बनने के बाद ही भगवान बिरसा मुंडा और सिदो-कान्हू की जीवनी को शामिल किया गया है. आजादी की लड़ाई में टाना भगत समुदाय का त्याग और बलिदान दिया है, उनकी जीवनी को भी हमने पाठ्यक्रम में जोड़ दिया है. 2014 के बाद ये सब काम हुए, जो बहुत पहले हो जाने चाहिए थे. इसके साथ ही जनजातीय सांस्कृतिक विरासत एवं परंपरा को प्रसारित करने के लिए सरहुल एवं करमा पर्व के अवसर पर डाक डिकट जारी किया गया है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारा जनजातीय समाज 1766 से ही अंग्रेजों के खिलाफ लड़ा. 1766 में पहली बार राजमहल में पहाड़िया विद्रोह हुआ. 1771 पलामू में चेरो विद्रोह, 1782 में तमाड़ विद्रोह, 1784 में तिलका मांझी क्रांति की लंबी श्रृंखला बनी. भगवान बिरसा मुंडा का आंदोलन 1895 और 1900 तक चला. इसी जेल में 9 जून 1900 में उनकी शहादत हुई. भगवान बिरसा मुंडा झारखंड के लिए ही नहीं, समस्त भारतवासियों के लिए महान सपूत हुए. आने वाले समय में भगवान बिरसा मुंडा को जानने और देखने के लिए दुनिया के लोग यहां आएं, ऐसा संग्रहालय बनाना है. यहां भगवान बिरसा मुंडा का 100 फीट ऊंची मूर्ति बनायी जाएगी. ये काम हम जनसहयोग से करेंगे.
कार्यक्रम में भगवान बिरसा मुंडा, शहीद सिदो-कान्हू, शहीद जतरा टाना भगत, शहीद नीलांबर-पीतांबर, शहीद डीवा सोरेन, शहीन किशुन मुर्मू, शहीद तेलंगा खड़िया, शहीद गया मुंडा व शहीद वीर बुधु भगत के वंशजों को सम्मानित किया गया.

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