पुरी: भारतीय जनता पार्टी के तरफ से पूरी विधायक जयंत कुमार सड़ंगी के नेतृत्व में पुरी बगला धर्मशाला के सामने मुख्य रास्ता पर पुरी जिलाधीश बलवंत सिंह और जिला प्रशासन को विरोध करते हुए जोरदार धारणा प्रदर्शन किए गए . बगला धर्मशाला बेचने को विरोध करते हुए यह दर्शन किए जाने के साथ विधायक सड़ंगी ने कहा भगवान जगन्नाथ जी सब जानते हैं वही विचार करेंगे. क्योंकि यहां पर 50 और ₹100 में श्रद्धालु या ठहरने के साथ कम पैसे में स्थानीय लोगों की शादी विवाहशादी-विवाह जनेऊ संस्कार आदि कर्म किए जाते थे . बगला धर्मशाला की जमीन बेचने को रोकने के लिए समाजसेवी जगन्नाथ बस्तियां उड़ीसा उच्च न्यायालय में फिर से इस बेचने कार्य को रोकने के लिए मामला दायर किए है
गौरतलब है भगवान जगन्नाथ जी के दर्शन करने के लिए सदियों से हजारों की संख्या में श्रद्धालु पुरी पैदल पहुंचते थे. उसके बाद में यातायात की सुविधा होने के उपरांत यह संख्या बढ़ती गई ,इसी बीच में देश की स्वतंत्रता से पहले सन 1904 उस समय का स्थिति को देखते हुए बाबू कन्हैयालाल बगला पुरी शहर के मुख्य रास्ता किनारे में निर्मित किया76 बगला धर्मशाला इसके बाद सन 1905 धर्मशाला को पुरी जिला मजिस्ट्रेट व लॉजिंग हाउस फंड कमेटी अध्यक्ष को हस्ताक्षर किए थे .इसके बाद में पुरी पधारने वाले श्रद्धालु भक्त भगवान जगन्नाथ जी को दर्शन से पहले यहां पर अवस्था करते थे , न्यूनतम भाड़ा के चलते गरीब से गरीब श्रद्धालु यहां रहता था .इसके साथ भगवान जी का दर्शन करके पुरी के अन्य मंदिरों में पावन दर्शन लाभ करके अपना घर खुशी से वापस जाते थे. सन 2018 में राज्य सरकार कानून की उछेद करते हुए लॉजिंग हाउस फंड कमेटी को भंग किया. गौरतलब है यहां के श्रद्धालुओं की भीड़ वह सुविधा के लिए भारत सरकार के रेल विभाग की तरफ से एक संरक्षित रेल टिकट काउंटर खुला गया था .जिसका फायदा लंबे सालों तक श्रद्धालु पर्यटक सब लेते थे. इस धर्मशाला की नक्शा बदलने के लिए राज्य सरकार केंद्र सरकार सब ने चिंता की केंद्र सरकार की प्रसाद योजना के तहत इस धर्मशाला की पुनः निर्माण के लिए ₹ 20 करोड़ रुपए मंजूर किए गए. धर्मशाला जमीन में श्री जगन्नाथ विश्राम स्थली निर्माण के लिए प्रस्ताव राज्य सरकार के गृह निर्माण पर नगर विकास विभाग को जुलाई 24 तारीख 2018 में जाने के साथ अनुमोदन प्राप्त किए . जिसको श्री मंदिर प्रशासन ने आपत्ति भी हिना प्रमाण पत्र , नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट प्रदान किए. इस जमीन 1920 बिहार उड़ीसा प्लेसेस ऑफ पिलग्रिम्स कानून के अनुसार बगला धर्मशाला संचालित लॉजिंग हाउस फ्रंट के द्वारा हो रही थी .जो कि 2018 को समाप्त हो गई .उसके बाद निर्माण कार्य भारतीय पर्यटन निगम लिमिटेड आईटीडीसी शुरू किया लेकिन उसी दौरान 2019 को श्री मंदिर के चारों तरफ 75 मीटर सुरक्षा जोन बनाने के लिए राज्य सरकार निर्देश देने के बाद श्री मंदिर के चारों तरफ 500 साल से व उससे अधिक बरसे रहे पुराने पुराने मठ मंदिरों को कुछ साल पहले निर्मित लाज करीब 200 घर तोड़ दिया गया .मंदिर के चारों तरफ से रहे विभिन्न मठों में देश के विभिन्न प्रांतों से आ रहे आध्यात्मिक गुरु ,साधु ,संत सबका अभ्यर्थना ठहरने की व्यवस्था यहां पर की जाती थी . इसके साथ भगवान जगन्नाथ जी को दर्शन करने पहुंचे श्रद्धालु भी मठ में रहते थे. इसके अलावा शहर में जो भी धर्मशाला है सब में श्रद्धालु रहते हैं ,ओ भी भारी मात्रा में क्योंकि प्रशासन की तरफ से सस्ते में अभी तक कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है. प्रशासन की न्यूनतम सुविधा कम से कम ₹500 से ज्यादा है लेकिन धर्मशाला ₹50 से नीचे है .इसको देखते हुए धर्मशाला के महत्व को लंबे अरसे से देशवासी महसूस करते आ रहे हैं .अभी पूरी जिला प्रशासन की तरफ से श्रद्धालु यात्री पर्यटकों के लिए ठहरने के लिए एक भी यात्री निवास धर्मशाला निर्माण नहीं किया गया है . इसी बीच जिला प्रशासन ने श्री मंदिर चारों तरफ से हटने वाले मालिकों को बगला धर्मशाला तोड़ के जमीन का बंटवारा करके कुल 26 टुकड़ा प्लॉट करते हुए 6 को बेच चुके हैं अभी आने वाले दिनों में बाकी बेचने की कार्य जारी है. इस कार्य को भारतीय जनता पार्टी राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने निंदा करते हुए कहां है धर्मस्थल में तीर्थयात्री आते हैं उनकी ठहरने की कोई भी व्यवस्था ना करते हुए इस तरह सनातन हिंदू धर्म की सभी धर्म के भगवान जगन्नाथ जगत के नाथ उनके पास जो पहुंचेगा उनके ही आश्रय स्थल यानी श्रद्धालुओं की रहने की जगह को बेचना ठीक नहीं है. पूरी जिला प्रशासन फिर से विचार करते हुए इसको तुरंत रोके .राज्य सरकार इस पर रोशनी डालते हुए ,श्रद्धालुओं को हित को देखते हुए जिला प्रशासन की मनमानी को रोक लगाएं .गौरतलब है पूरी के विश्व प्रसिद्ध रथ यात्रा जिसमें करीब 15 से 25 लाख के बीच श्रद्धालु की भीड़ होती है. लेकिन सालों भर बगला धर्मशालाा मुख्य रास्ता होने के कारण भरपुर श्रद्धालुओं से रहता है. रथ यात्रा में इसके महत्व और बढ़ जाती है. इन सभी को देखा जाए तो किसी भी हालत पर इस धर्मशाला को ना बेचा जाए बल्कि केंद्र सरकार के द्वारा भेजे गए ₹200000000 लागत से प्रसाद योजना के तहत निर्माण कार्य श्रद्धालुओं के लिए आश्रय स्थल बनाए जाए .प्राप्त जानकारी के अनुसार भारतीय पर्यटन विकास निगम के पुनः निर्माण कार्य जिलाधीश ने 2019 को रोक दिया. इसी बीच धर्मशाला की जमीन को लॉजिंग हाउस फन कमिटी नाम से मालिकाना जिलाधीश के निर्देश पर पूरी अतिरिक्त तहसीलदार जल्दबाजी में रेवेन्यू मिस केस के जरिए, राजस्व आपदा संचालन विभाग के नाम पर पंजीकरण कर दिए. लॉजिक मालिकों को खुश करने के लिए यह कार्य किए गए यह सब जानकारी हासिल करने के बाद पूरी के समाजसेवी जगन्नाथ बस्तिया 2 दिसंबर 2019 को उड़ीसा उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर किए. जिस को संज्ञान में लेते हुए 2019 दिसंबर 17 तारीख को उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया. यह मुकदमा अभी न्यायालय में विचाराधीन है. इसी बीच अगस्त 5 तारीख से 12 तारीख के बीच खाता नंबर 242 प्लाट नंबर 496 में रहने वाले जमीन को भीतर से सेवक नीयोग 136 डिसमिल ,विजयलक्ष्मी खुंटीआ को वह जयलक्ष्मी को 38 , बट कृष्ण मुद्रा को 34 डिसमिल, कल्पना महंती को 34 डिसमिल, जोशना रानी साहू दीपक कुमार साहू को 38 डिसमिल जमीन बिक्री किया गया है .इस संवेदनशील घटना को अभी उड़ीसा सरकार हल्का से ले रहा है. ऐसा करना ठीक नहीं है पूरी शहर में चर्चा है धर्मशाला बेचने के बाद शहर के विभिन्न स्थानों में रहे जागा आखड़ा के जमीन पर भी जिलाधीश के नजर पड़ी है उसको भी बेचना शुरू करेंगे. इसको देखते हुए लोगों में आशा आकांक्षा आतंक सा माहौल फैल गया है. क्योंकि भगवान जगन्नाथ जी की श्री मंदिर को सुरक्षित रखने के लिए श्री मंदिर के चारों तरफ आ खेड़ा के साथ शहर के विभिन्न ने मोहल्ला शाही में जगह खड़ा स्थापना किए गए थे .यहां पर नौजवान कुश्ती ,कसरत, का अभ्यास आदि करके खुद को हमेशा तैयार रखते थे. यह परंपरा भी अभी नष्ट होने जा रहा है. क्योंकि पहले श्री मंदिर के चारों तरफ मठों को तोड़ा गया अभी धर्मशाला को तोड़कर बेचना शुरू हो गया है .कि आने वाले दिनों में जगह खड़ा पर प्लाट बनाकर लोगों को बेचना शुरू करने जिला प्रशासन की मंसूबा पुराना हो यह पूरी के जनता भगवान जी के पास ना लगाएं.
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