पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न – मौलवी ने गुरुद्वारे की जमीन पर कब्जा किया, कहा- पाकिस्तान सिर्फ मुसलमानों का

नई दिल्ली. पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं. कट्टरपंथियों के हौसले बढ़ते जा रहे हैं तथा अल्पसंख्यकों की बात सुनने वाला कोई नहीं है. पाकिस्तान की सरकार व उसके मुखिया भी मौन साधे हैं. वहीं, भारत में नागरिकता संशोधन कानून (जिसके तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़िन के कारण भारत आने वाले लोगों को नागरिकता दी जानी है) के विरोध में खड़े होने वाले बुद्धिजीवी भी पाकिस्तान में हिन्दू-सिक्खों के धार्मिक उत्पीड़न पर चुप हैं.

नई घटना में लाहौर में एक मौलवी ने गुरुद्वारे की जमीन पर कब्जा कर लिया. उसने वीडियो जारी कर सिक्खों को धमकी दी है कि पाकिस्तान इस्लामी देश है और यहां सिर्फ मुस्लिम रह सकते हैं. मौलवी सोहैल बट्‌ट दावत-ए-इस्लामी (बरेलवी) से जुड़ा है. वह लाहौर में मुस्लिम पैगम्बर हजरत शाह काकु चिश्ती दरगाह का केयरटेकर भी है. उसने स्थानीय लोगों के साथ मिलकर गुरुद्वारा शहीद भाई तारु सिंह की जमीन पर कब्जा कर लिया.

इस घटना में भारत ने पाकिस्तानी उच्चायोग के समक्ष सोमवार को कड़ा ऐतराज जताया है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने मीडिया से बातचीत में यह जानकारी दी है. उन्होंने बताया कि भारत ने पाकिस्तान से मामले की जांच करने और तत्काल सुधार करने वाले कदम उठाने की मांग की है.  पाकिस्तान से अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों की सुरक्षा और भलाई के साथ-साथ उनके धार्मिक अधिकारों और सांस्कृतिक धरोहरों की देखभाल करने की भी अपील की गई.

मौलवी सोहैल ने दावा किया कि गुरुद्वारा और उसके आसपास की 4 से 5 कनाल जमीन हजरत शाह काकु चिश्ती दरगाह और शहीदगंज मस्जिद की है. सोहैल ने यह सबकुछ भू-माफियाओं के इशारे पर किया है. इसमें एक आईएसआई का अधिकारी जेन साब भी है.

मौलवी ने वीडियो में कहा, “एक मुस्लिम राष्ट्र होने के नाते पाकिस्तान केवल मुस्लिमों का है. 1947 में पाकिस्तान के बनने के समय करीब 20 लाख मुस्लिमों ने जिंदगी गंवाई थी. ये सिक्ख गुंडागर्दी दिखा रहे हैं. यह एक इस्लामी राष्ट्र है, वे कैसे गुंडागर्दी दिखा सकते हैं? ऐतिहासिक रिकॉर्ड बताते हैं कि यह साइट हमारी है.”

वीडियो में वह सिक्ख कम्युनिटी लीडर गोपाल सिंह चावला और फौजा सिंह को धमकी दे रहा है. फौजा और चावला दोनों खालिस्तान समर्थक हैं.

भाई तारू सिंह के नाम पर है गुरुद्वारा

गुरुद्वारा भाई तारु सिंह के शहीद स्थल पर बना है. यहां पर 1726 में मुगल काल के दौरान वायसराय जकारिया खान ने इस्लाम न स्वीकार करने पर भाई तारु सिंह का सिर काट दिया था. पाकिस्तान में कई ऐतिहासिक सिक्ख गुरुद्वारे ऐसे हैं जो या तो जर्जर हालात में हैं या फिर भू-माफिया और स्थानीय लोगों के कब्जे में हैं. हिन्दू और सिक्खों का उत्पीड़न किया जाता है.

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