पाठ्यक्रम में 2002में दिये अरुंधती रॉय के भाषण को शामिल किया गया है
भाषण को पाठ्यक्रम से तुरंत हटाया जाए – शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास
नई दिल्ली. शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास ने प्रधानमंत्री, मानव संसाधन विकास मंत्री व केरल के राज्यपाल को पत्र लिख कर कालीकट विश्वविद्यालय में बी.ए. अंग्रेज़ी साहित्य के तृतीय वर्ष के पाठ्यक्रम में राष्ट्र विरोधी सामग्री को तत्काल प्रभाव से हटाने का आग्रह किया है. संबंधित विश्वविद्यालय के उपरोक्त पाठ्यक्रम में “ब्रेकिंग इंडिया” की प्रमुख वक्ता अरुंधती रॉय के एक भाषण का समावेश किया गया है. ‘कम सितम्बर’ (Come September) नामक यह भाषण अरुंधती रॉय द्वारा वर्ष 2002 में अमेरिका में दिया गया था.
अतुल कोठारी ने कहा कि इस भाषण में अरुंधती रॉय ने हिन्दू धर्म का उल्लेख सांप्रदायिक फासीवादी के रूप में किया है. स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी जी के नेतृत्व की तत्कालीन सरकार को भी फासीवादी एवं कश्मीर में राज्य प्रायोजित आतंकवाद चलाने वाली सरकार कहा गया है. साथ ही 2002 में गुजरात में हुए दंगों को ‘राज्य समर्थित नरसंहार’ की उपमा दी है. आत्मघाती हमला करने वाले आतंकवादियों का बचाव करते हुए लिखा है – “हमें आतंकवादी की निंदा करना सिखाया जाता है, किंतु वो इस स्थिति तक क्यों पहुँचा, इसका विचार भी हमें करना चाहिए.”
अतुल कोठारी ने कहा कि इन उदाहरणों से स्पष्ट है कि भाषण का एवं भाषण देने वाली वक्ता की मंशा राष्ट्र विरोधी भावना को बढ़ावा देने वाली ही है. देश के किसी भी विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में इस प्रकार का पाठ पढ़ाना राष्ट्रद्रोह समान है. शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के दक्षिण क्षेत्र के संयोजक ए. विनोद ने बताया की न्यास के राष्ट्रीय सचिव द्वारा प्रधानमंत्री सहित अन्य सभी सम्बंधित विभागों को पत्र लिख कर इस अध्याय को तत्काल प्रभाव से हटाने का आग्रह किया है. साथ ही पाठ्यपुस्तक समिति एवं विश्वविद्यालय के कुलपति पर भी उचित कार्यवाही की माँग की है.
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