गोरखपुर (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य शंकर लाल जी ने कहा कि हम भाग्यशाली हैं कि भारत भूमि पर पैदा हुए हैं. यह भूमि इतनी पवित्र है कि यहां स्वयं भगवान भी जन्म लेने की इच्छा रखते हैं. हिन्दुस्थान की भूमि हिन्दू भूमि है. हिन्दू कोई जाति या पंथ नहीं है. यह एक संस्कार व संस्कृति है. हिन्दुस्थान में रहने वाला हर व्यक्ति हिन्दू है. सभी के पूर्वज एक हैं. उपासना पद्धति जरूर अलग-अलग है. शंकरलाल जी सरस्वती वरिष्ठ विद्या मंदिर में रविवार को आयोजित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ‘गोरक्षप्रांत’ के संघ शिक्षा वर्ग प्रथम वर्ष (सामान्य) के समारोप कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि यदि देश को विश्व गुरु के रूप में प्रतिस्थापित रखना चाहते हैं तो अपनी संस्कृति, अनुशासन व संस्कार को बनाए रखना होगा. सांस्कृतिक धरोहरों की रक्षा हेतु समाज को संगठित होना होगा. धर्मनिरपेक्ष कोई भी नहीं हो सकता है. वह मनुष्य हो या पशु-पक्षी.
डॉ. वरेश नागरथ जी ने कहा कि संघ ईमानदारी, सत्य, सेवा एवं अनुशासन सीखने का स्थान है. प्रत्येक आपदा में स्वयंसेवक अपनी अग्रणी भूमिका निभाते हैं. संस्कृत भाषा का उत्थान भी सदा स्वयंसेवकों द्वारा ही होता है. सन् 1962 के युद्ध में स्वयंसेवकों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
कार्यक्रम का संचालन विरेन्द्र जी, आभार प्रदर्शन मुन्नीलाल शर्मा जी ने किया. कार्यक्रम के प्रारंभ में स्वयंसेवकों द्वारा प्रदक्षिणा संचलन, घोष प्रदर्शन, दंड योग, व्यायाम योग, शरीरिक सौष्ठव, आत्म रक्षा कौशल का प्रदर्शन किया. इस अवसर पर गोरक्ष प्रान्त के प्रान्त संघचालक डॉ पृथ्वीराज सिंह जी सहित सैकड़ों की संख्या में समाज के सम्मानित बन्धु उपस्थित रहे.
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