भोपाल (विसंकें). ख्यातिप्राप्त लेखक और पर्यावरणविद् अमृतलाल वेगड़ जी ने कहा कि नदियों को सिर्फ पूजने के बजाए, उनको बचाने की जरूरत है. हम नर्मदा को मां कहते हैं, किंतु हमने उसका क्या हाल बना रखा है, यह किसी से छिपा नहीं है. हमारी कथनी और करनी में अंतर ही वह एकमेव कारण है, जिसके कारण हम एक हजार साल तक गुलाम रहे. यह प्रवृत्ति आज भी कम नहीं हुई है.
अमृतलाल जी माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की ओर से डी. लिट. (विद्या वाचस्पति) की मानद उपाधि से सम्मानित किये जाने के अवसर पर बोल रहे थे. स्वास्थ्यगत कारणों से अमृतलाल जी विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में नहीं आ सके थे. विश्वविद्यालय प्रशासन ने निर्णय लिया था कि उन्हें निवास पर जाकर कुलपति जगदीश उपासने जी यह अलंकरण प्रदान करेंगे. जबलपुर में उनके आवास पर आयोजित समारोह में उन्होंने कहा कि हमने हर विषय पर ऊंची-ऊंची बातें तो कीं, पर कर्म का खाता खाली है. इसलिए हमें नर्मदा सहित अपनी सभी नदियों की पूजा करने, दीप जलाने के साथ उनकी स्वच्छता और निर्मल प्रवाह को बनाए रखने के लिए खास प्रयास करने होंगे.
विश्वविद्यालय के कुलपति जगदीश उपासने जी ने कहा कि अमृत लाल जी हमारी ऋषि परंपरा के उत्तराधिकारी हैं. उन्होंने अपना सारा जीवन लोकसंचार के लिए समर्पित कर दिया. वे सच्चे संचारकर्ता हैं, क्योंकि कोई भी संचार समाज के लिए होता है और वही संचार सार्थक है, जिसमें लोकमंगल की भावना निहित हो. उनका पूरा जीवन ही एक सार्थक संचार है. उन्हें सम्मानित कर विश्वविद्यालय पर्यावरण और नदी संरक्षण से जुड़ी उनकी चिंताओं को अकादमिक प्रतिष्ठा दिलाने का प्रयास भी करेगा. जबलपुर की महापौर स्वाति गोडबाले जी ने उन्हें शुभकामनाएं देते हुए कहा कि वे जबलपुर के गौरवपुरूष और हमारे प्रेरणास्रोत हैं. उनकी प्रेरणा और प्रोत्साहन से मां नर्मदा के प्रति सामाजिक समझ बढ़ी है. श्री वेगड़ ने नदियों के संरक्षण के विषय को राष्ट्रीय फलक पर स्थापित कर दिया है.
नर्मदा रेखांकन का लोकार्पण
समारोह में श्री वेगड़ की इच्छानुसार उनके नर्मदा के रेखांकन पर केंद्रित प्रकाशन नर्मदा रेखांकन का लोकार्पण कुलपति जगदीश उपासने जी ने किया. पुस्तक में अद्भुत नदी नर्मदा की परिक्रमा पर आधारित रेखाचित्र हैं. इन रेखांचित्रों में नर्मदा के बहुआयामी सौंदर्य को रेखांकित किया गया है.
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