सिनेमा में भारतीयता का भाव होना आवश्यक
अर्जुन रामपाल, हेमामालिनी, फिल्म निर्देशक मधुर भंडारकर और प्रियदर्शन ने की शिरकत, चित्र भारती फिल्मोत्सव में 750 फिल्म प्रविष्टियां, विभिन्न वर्गों में प्रतियोगिता के लिए 160 फिल्मों का चयन, पांच श्रेणियों में तीन – तीन फिल्मों को मिलेगा पुरस्कार
नई दिल्ली (इंविसंकें). भारतीय सिनेमा में भारत का दर्शन होना जरूरी है. सिनेमा समाज की मानसिकता और सोच दोनों को विकसित करने का काम करता है, बशर्ते कि सिनेमा में उस देश की वास्तविक संस्कृति का बोध हो. भारतीय चित्र साधना के बैनर तले सोमवार से तीन दिवसीय चित्र भारती फिल्म महोत्सव की शुरुआत हुई. महोत्सव में बतौर मुख्य अतिथि केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि इस तरह के महोत्सव का बड़ा महत्व है. शार्ट फिल्म मेकर्स को भारतीय साहित्य, भारतीय संस्कृति के बारे में जानना बेहद जरूरी है. भारत की आत्मा साहित्य में बसती है. फिल्मकार यदि भारतीय साहित्य से परिचित होंगे तो फिल्मों में भारतीयता का भाव लाना उनके लिए सुलभ होगा. इसके अलावा आज फिल्मों में अनुशासन का होना बेहद जरूरी है. हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खटृटर ने कहा कि उपभोक्तावाद का असर फिल्मों पर भी पड़ा है. इस कारण धीरे-धीरे भारतीय फिल्मों से भारतीयता गायब होती गई. भारतीयता को पुर्नस्थापित करने का जो बीड़ा भारतीय चित्र साधना ने उठाया है, वह सराहनीय है.
भारतीय चित्र साधना के चेयरमैन आलोक कुमार जी ने कहा कि भारतीय मूल्यों और सामाजिक सरोकार से जुड़ी फिल्मों, और इस तरह की फिल्में बनाने वाले लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए फिल्मोत्सव का आयोजन किया गया है. जो फिल्में वैचारिक विमर्श के साथ सांस्कृतिक मूल्यों के आदान-प्रदान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, उन्हें प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से भारतीय चित्र साधना की स्थापना की गई है. प्रज्ञा प्रवाह के राष्ट्रीय संयोजक जे. नंद कुमार जी ने कहा कि सिनेमा में ब्रेक इंडिया की मानसिकता रखने वाले लोगों के प्रभाव को कम करने के लिए इस महोत्सव की शुरुआत की गई. फिल्में ऐसी हों जो मनोरंजन के साथ समाज में एक विचार भी सृजित करती हों.
द लास्ट मोंक फेम डायरेक्टर सुदीप्तो सेन जी ने फिल्मों के संबंध में छात्रों को स्क्रीप्टराइटिंग और फिल्म मेकिंग के गुर बताए. बहुत अच्छी फिल्में कम संसाधनों में भी बनाई सकती हैं. दक्षिण कोरिया और ईरान की दो शॉर्ट फिल्म भी दिखाई. फिल्म मेकिंग से जुड़े पेशेवरों और विभिन्न संस्थानों से आए छ़ात्रों के प्रश्नोत्तर के जवाब में कहा कि भारतीय फिल्मों में भारत होना चाहिए. भारत एक एहसास है. भारतीय संस्कृतियों का भारत, विभिन्नता में एकता का भाव देने वाला विचार फिल्मों में आए, ऐसा हमारा प्रयास होना चाहिए.
फिल्म अभिनेत्री एवं भाजपा सांसद हेमामालिनी जी ने कहा कि जब हम विदेश जाते हैं तो लोग हिन्दी में हमसे बात करते हैं. हिन्दी और भारतीय संस्कृति को विश्व पटल पर अवगत कराने में हिन्दी सिनेमा एक सशक्त माध्यम है. अर्जुन रामपाल जी ने कहा कि भारत में सबसे ज्यादा फिल्में बनती हैं. लेकिन ऑस्कर की दौड़ में हम पिछड़ जाते हैं क्योंकि हम विदेशों की नकल करते हैं. जो लोग अपने देश की संस्कृति और समाज को मौलिक रूप से प्रस्तुत करते हैं, उनकी फिल्में अंतरराष्टीय जगत में सराही जाती हैं और पुरस्कृत होती हैं.
Comments
Post a Comment