राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का विद्यार्थी पथ संचलन ‘अरुणोदय-2074’

उदयपुर (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का प्रत्येक स्वयंसेवक अनमोल है. दैवीय शक्तियों ने उसे राष्ट्रकार्य के लिए चुना है. संघ की शाखा एक तपोस्थल है, जहां स्वयंसेवक का व्यक्तित्व निखरता है. वह समाज और देश सेवा की ओर अग्रसर होता है. स्वयंसेवक के मन में नित्य यही लक्ष्य रहना चाहिए कि तेरा वैभव अमर रहे मां, हम दिन चार रहें न रहें.
साध्वी ऋतम्भरा जी ने शुक्रवार को उदयपुर के बीएन विश्वविद्यालय भागवत धाम में स्वयंसेवकों से आह्वान किया. गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य में ‘अरुणोदय-2074’ पर आयोजित पथ संचलन के बाद स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए साध्वी श्री ने कहा कि हमें पाथेय तो मिल चुका है, लक्ष्य निर्धारित है, पथ हमें पता है. लेकिन पथ के पथिक बनने से पहले हमें स्वयं को इतना परिपक्व कर लेना है कि प्रतिकूल परिस्थितियां हमारे चित्त को पराजित न कर सकें, बल्कि नदी की तरह चट्टान से टकराकर हम और वेग से बहें. साध्वी श्री ने कहा कि हमारा लक्ष्य मां भारती के आंगन को दिव्य और वैभवशाली बनाना है. स्वयंसेवकों के साथ ही भागवत धाम में मौजूद श्रद्धालुओं को भी भारत माता की सेवा और रक्षा का संकल्प दिलाया.
इससे पूर्व ‘अरुणोदय-2074’ पथ संचलन बीएन विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार से शुरू होकर एमबी तिराहा, सिख कॉलोनी, पुनः एमबी तिराहा, वाणिज्य महाविद्यालय, सुभाष नगर, कैनरा बैंक, सेवाश्रम चैराहा होते हुए बीएन विश्वविद्यालय के मैदान में स्थित भागवत धाम पहुंचा. वहां घोषवादक स्वयंसेवकों ने विभिन्न घोष रचनाओं की प्रस्तुति दी. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत संघ चालक गोविन्द सिंह टांक जी, महानगर संघचालक राजेन्द्र सिंह कोठारी जी का भी सान्निध्य रहा. वर्ष 2004 से 26 जनवरी को कक्षा छठी से 10वीं तक के विद्यार्थियों का संचलन निकाला जा रहा है. शुक्रवार को पथ संचलन में चार घोषदल सहित 948 स्वयंसेवक उपस्थित थे.

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