भारत का चिंतन प्रासंगिक नहीं, बल्कि सर्वकालिक और सभी के लिए है – सुरेश भय्याजी जोशी

रायपुर (विसंकें). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह सुरेश भय्याजी जोशी ने कहा कि विश्व में भारत की प्रतिष्ठा बढ़ रही है, यह निरंतर बढ़ती रहेगी. किन्तु समक्ष की समस्याओं और देशहित के प्रश्नों  पर एकात्म भाव से प्रयास करें, यह भारत को परम वैभवशाली बनाने के लिए आवश्यक है. सरकार्यवाह जी विजयादशमी पर स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में संबोधित कर रहे थे. उन्होंने देश की वर्तमान परिस्थितियों के संबंध में समाज को एकात्म होकर समन्वित प्रयास से कार्य करने की आवश्यकता पर बल दिया. उन्होंने वर्तमान समय में प्रचलित अनेक विषयों पर उपस्थित स्वयंसेवकों, गणमान्य नागरिकों का प्रबोधन किया. विजयादशमी उत्सव स्वामी विवेकानंद स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में आयोजित किया गया था. जिसमें मुख्य अतिथि महामंडलेश्वर श्री हरिहरानंद जी सरस्वती, सह प्रांत संघचालक डॉ. पुर्णेन्दु सक्सेना जी, महानगर संघचालक उमेश अग्रवाल जी मंच पर उपस्थित थे.

चार स्थानों से स्वयंसेवकों के भव्य पथसंचलन से कार्यक्रम का प्रारंभ हुआ. जिसका निरीक्षण राज्य विद्युत मंडल चौक पर श्रद्धेय मुनि रमेश कुमार जी, सरकार्यवाह सुरेश भय्याजी जोशी, सह प्रांत संघचालक डॉ. पुर्णेन्दु सक्सेना जी, महानगर संघचालक उमेश अग्रवाल जी ने किया. नगर के प्रमुख मार्गों से घोष दल के साथ संचलन करते हुए स्वयंसेवक कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे. इस अवसर पर अनेक झांकियां भी पथ संचलन के साथ चलीं. छत्रपति शिवाजी स्टेडियम में स्वयंसेवकों ने सामूहिक गीत व शारीरिक कार्यक्रमों का प्रदर्शन किया.
भय्याजी जोशी ने कहा कि विश्व में किसी राष्ट्र को सम्मान तभी मिलता है, जब वह शक्तिशाली होता है. भारत तेजी से विश्व पटल पर अपनी पहचान शक्तिशाली देश  के रूप में बना रहा है. भारत की एक पहचान हिन्दु और हिन्दुत्व है. यही यहां के मूल्य हैं, जिसके तहत हम विश्व के कल्याण, प्रकृति और प्राणियों के कल्याण की कामना करते हैं. इतिहास में उल्लेख है कि भारत दुनिया में शस्त्र लेकर नहीं गया, अपितु वह शास्त्र लेकर गया. भारत का चिंतन प्रासंगिक नहीं, बल्कि सर्वकालिक और सभी के लिए है. उन्होंने कहा कि आतंकवाद और घुसपैठ भारत की प्रमुख समस्या है. भारत की समुद्री और भू-सीमा पर तैनात हमारे जवान शहीद होते हैं. उनके इस बलिदान के कारण ही हम सुरक्षित हैं. सैनिकों के बलिदान के प्रति समाज को सम्मान का भाव रखना चाहिए. उन्होंने देश  विरोधी शक्तियों को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि देश  के भीतर से ही हमारी सेना के खिलाफ बयान आते हैं. जिससे देश विरोधियों को भी समर्थन मिलता है. रोहिंग्या समस्या के संबंध में कहा कि मानवता के नाम पर देश के लिये खतरा बन जाने वाले विदेशी लोगों को भारत में प्रवेश नहीं करने देना चाहिए.
सरकार्यवाह जी ने कहा कि देश में वर्तमान सरकार अच्छी नीतियां बना रही है. किन्तु शासन-प्रशासन को चाहिए कि उनकी नीतियां छोटे कुटीर उद्योगों और सामान्य लोगों को राहत देने वाली हों. कृषकों की आत्महत्या पर चिंता जताते हुए कहा कि शासन को कृषि नीति पर पुनः चिंतन करने की आवश्यकता  है. खाद्यान्न पैदा करने में देश आत्मनिर्भर हो, परन्तु प्रकृति के साथ कृषि का संतुलन भी बना रहे. इसके लिए जैविक कृषि अपनाने पर जोर दिया. किसान स्वावलम्बन से परावलंबन की ओर चला गया है. इसका समाधान के रूप में कर्ज मुक्ति का उपाय नहीं हो सकता. किसान अपने उत्पादन से लाभ कमाए, इसके लिए शासन को मूल्य निर्धारण की वैज्ञानिक दृष्टि को अपनाना होगा.
उन्होंने कहा कि गौ रक्षा पर धार्मिक दृष्टिकोण नहीं होना चाहिए. गौ रक्षा करने वाले बंधु सज्जन शक्तियां हैं, किन्तु गौ रक्षा के नाम पर कानून अपने हाथ में नहीं लेना चाहिए. उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय जगत में भारत का बढ़ता वर्चस्व, विदेशी वस्तुओं के खिलाफ बनायी जा रही नीतियां और स्वच्छता अभियान को समाज के साथ जोड़कर समन्वित प्रयास करने का आह्वान किया. साथ ही चीन में निर्मित वस्तुओं का भारत में क्रय और उपयोग करने से बहिष्कार करने का भी आह्वान किया.
कार्यक्रम को मुख्य अतिथि महामंडलेश्वर श्री हरिहरानंद जी ने भी संबोधित किया. कार्यक्रम का संचालन महानगर कार्यवाह टोपलाल वर्मा जी ने किया. अखिल भारतीय शारीरिक शिक्षण प्रमुख सुनील कुलकर्णी जी, वरिष्ठ प्रचारकद्वय शांताराम जी शराफ, पाण्डुरंग मोघे जी, पूर्व राज्यसभा सदस्य श्रीगोपाल व्यास जी, सह क्षेत्र प्रचारक दीपक विस्फुते जी, छत्तीसगढ़ के प्रांत प्रचारक प्रेमशंकर जी, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह जी सहित अन्य उपस्थित थे.

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